प्रेम दिवस के नाम


तुम प्रणय का पुष्प बनाकर
बस गए मेरे निलय में,
मै निशा की श्वेत चादर
बंध गयी तेरी गिरह में.

प्रीत की अठखेलियाँ
मचलीं तुम्हारे गेह में
सिंच गयीं कलियाँ तृषा की 
मधु भरे पावन नयन में।

है सुबह कुछ खास
मंजर भी नवेले वस्त्र में
प्रेमियों की रौनकें
बिखरीं धरा के वृत्त में

इश्क की अनुपम फिजां
आज कुछ आज़ाद है
उड़ चले परवाज़ देखो
डर खुशी के बाद है.

मौत से पहले सजा लें
मांग अपने स्वप्न से
नेह की दुनिया सजा दें 
चिर विरह के अंत से.

(चित्र साभार गूगल)



टिप्पणियाँ

  1. प्रणय पिकी का अद्भुत प्रेम पीहू!

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  2. प्रिय अपर्णा -- प्रेम का ये सुंदर गान बहुत मनमोहक है |
    इश्क की अनुपम फिजां
    आज कुछ आज़ाद है
    उड़ चले परवाज़ देखो
    डर खुशी के बाद है.--
    बहुत सुंदर ------------- सस्नेह --

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 13 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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