आँचल में सीप
तुम्हारी सीप सी आंखें
और ये अश्क के मोती,
बाख़बर हैं इश्क़ की रवायत से...
तलब थी एक अनछुए पल की
जानमाज बिछी;
ख़ुदा से वास्ता बना
तुम्हारी पलकों ने करवट ली
दुआ में हाँथ उठा
बीज ने कुछ माँग लिया
मेघ बरसे,
पत्तियों ने अंगड़ाई ली,
धरती ने हरी साड़ी पहन,
रेत से हाँथ मिलाया
बाँध लिए सीप मोतियों समेत
आँचल की गिरह में।
#AparnaBajpai
सुंदर.
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय अय्यंगार जी।
हटाएंइश्क़ की रवायात भी तो सृजन प्रक्रिया ही होती है ...
जवाब देंहटाएंनए अहसास को जनम देती है ...
सुंदर रचना ...
आदरणीय नासवा जी, आपकी प्रतिक्रिया का हृदयतल से आभार।
हटाएंसादर
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १८ जून २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति मेरा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' १८ जून २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीया 'शशि' पुरवार जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १८ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंचिराग जी बहुत बहुत धन्यवाद ब्लॉग पर आने के लिए। आप निश्चित ही बहुत अच्छा लिखते हैं। पहली फुर्सत में ही आपके ब्लॉग पर आऊंगी।
जवाब देंहटाएंसादर