अटल जी की अवधी बोली में लिखी कविता
मनाली मत जइयो
मनाली मत जइयो, गोरी
राजा के राज में
जइयो तो जइयो,
उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ,
वायुदूत के जहाज़ में.
जइयो तो जइयो,
सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं,
मिर्धा महाराज में
जइयो तो जइयो,
मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन
अंधेरिया रात में
जइयो तो जइयो,
त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे ख़ालिस्तानी,
राजीव के राज में
मनाली तो जइहो.
सुरग सुख पइहों.
दुख नीको लागे, मोहे
राजा के राज में।
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वाह !!!!प्रिय अपर्णा बहुत ही सरस रचना अटल जी की ।आभार आपका share करने के लिए ।
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