बड़ा पावन है
धरती और बारिश का रिश्ता,
झूम कर नाचती बारिश और
मह-मह महकती धरती;
बनती है सृष्टि का आधार,
उगते हैं बीज,
नए जीवन का आगाज़,
शाश्वत प्रेम का अनूठा उपहार,
बारिश और धरती का मधुर राग,
उन्मुक्त हवाओं में उड़ती,
सरस संगीत की धार,
तृप्त जन, मन, तन
तृप्त संसार.
#AparnaBajpai
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अभिलाषा जी
हटाएंसादर
बड़ा पावन है
जवाब देंहटाएंधरती और बारिश का रिश्ता,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ, काश ! मानव जीवन में भी रिश्तों में यही पावनता चहुंओर हो
बेहतरीन रचना. रंगसाज़
जवाब देंहटाएंप्रेम की बेहतरीन परिभाषा!
जवाब देंहटाएं