बुरा आदमी (#हिन्दी कविता)

बुरे बनते आदमी की राह में

उसकी अच्छाइयां होती हैं मील का पत्थर,

कदम दर कदम नापता रिश्तों का खोखलापन

आदमी हो जाता है पूरा का पूरा खाली,

ढोल और नगाड़े से बजते हैं वे शब्द

जो कहे गए थे कभी उसकी भलमनसाहत में.

आदमी बुरा नहीं होता;

आदमी होता है थोड़ा टेढ़ा,

जो अपेक्षाओं की सीधी लकीरों में समा नहीं पाता।।



#AparnaBajpai

#आदमी

टिप्पणियाँ

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 20-11-2020) को "चलना हमारा काम है" (चर्चा अंक- 3891 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    "मीना भारद्वाज"

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  2. अत्यंत विचारपूर्ण काव्य रचना...

    जवाब देंहटाएं

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