जरूरत
किसानों का पसीना, स्त्रियों की उदासी और बच्चों के आंसू,
आज का सबसे बड़ा सच हैं;
और भूख, दुनिया का नवीनतम समाचार!
एक ख़बर जो कभी पुरानी नहीं पड़ती.
जैसे नहीं सूखती है बुजुर्गों के हाथों से आशीष की गंगा,
दर्द किसी पहाड़ के सिरे पर टिका रहता है।
सड़कों पर पड़े जानवरों की लाशें, सबूत हैं हमारी नष्ट होती मनुष्यता का,
और दुनिया को मुट्ठी में कैद करने वाली डिवाइस,
रिश्तों के रस को सुखाने का सबसे बड़ा हथियार...
हंसती हुई स्त्रियां इस समय की सबसे बड़ी जरूरत हैं
और :
बच्चियों को मां की नज़र से देखने वाले मर्द आज के आराध्य देव...
©️ अपर्णा बाजपेई
बच्चियों को मां की नज़र से देखने वाले मर्द आज के आराध्य देव...वाह!गज़ब ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 2 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत शुक्रिया पम्मी दी, रचना को चयनित करने के लिए
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बच्चियों को मां की नज़र से देखने वाले मर्द आज के आराध्य देव...
जवाब देंहटाएंवाह
मर्म को झकझोरती हुई ... आह !
जवाब देंहटाएंहंसती हुई स्त्रियां इस समय की सबसे बड़ी जरूरत हैं
जवाब देंहटाएंऔर :
बच्चियों को मां की नज़र से देखने वाले मर्द आज के आराध्य देव....
गजब !!!
बहुत आभार, मीना दी
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