नए साल में नई आस

 छोटे छोटे पदचिन्हों संग
आता है हर साल नया,
नया कैलेंडर, नई बात लेे
सुरभित होता साल नया।
नई उमंगें, नई तरंगें
नई चाल यह लाता है
मुरझाए चेहरों पर आकर
नई आस मल जाता है,

बाग बगीचे, ताल तलैया
तितली, रंग, फूल बिखरे,
घर आंगन में पग रखकर यह
नए प्लान बनाता है।
बच्चे बच्चे कहते सब से
हैपी हो यह साल नया,
धूम धड़ाका पिकनिक - शिकनिक
झरती खुशियां, हाल नया।

2021 लाएगा 
मतवाली हर शाम नई,
परिवारों में हो पाएगी
मस्ती वाली बात नई,
साथ बैठ कर खाएंगे सब
पूछेंगे सबका सब हाल,
दौड़भाग से बच थोड़ा सा
मन को करेंगे माला माल,
अपनी बातें अपने सपने
बांटेंगे परिवारों में,
एकाकी होते जीवन को,
खोलेंगे निज उपवन में,

 कोरॉना से मिली सीख को
सींचेंगे जीवन में सब,
प्रकृति दे रही जो कुर्बानी,
उसका मोल समझेंगे अब
नए साल में , नए हाल में
ख़ुद का साथ निभाएंगे,
थोड़ा ज्यादा जी कर खुद को
सेहतवान बनाएंगे।।

©️ अपर्णा बाजपेई





टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 29 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना...आस और विश्वास से परिपूर्ण.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर सृजन ,आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सृजन - - नूतन वर्ष की असीम शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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