उसी मोड़ पर
कभी उस मोड़ तक आना
तो ठहरना कुछ देर,
परछाइयां कुछ अब भी तेरी राह तक रही होंगीं,
जमीं पर डालना बस एक नज़र तुम यूं ही
शर्म में डूबी हुई आंखों का ख़याल आएगा,
हथेलियां अपनी भीचोगे तो उफ़्फ़ निकलेगी
किसी का हाँथ कट कर दूर गिरा हो जैसे,
हवा उस मोड़ पर अब भी सुर्ख़ होगी कुछ
लालियां घुल गई थीं उनमे जो बरसों पहले,
पुराने दर्द बड़े कीमती होते हैं वहीं
जहां गिरने से कभी ज़ख्म लगा होता है..
अपर्णा बाजपेयी
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
हटाएंवाह!सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंउसी मोड़ पर आकर यादों से सामना !!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत भावों से भरी रचना प्रिय अपर्णा | सस्नेह शुभकामनाएं|
भाव प्रणव रचना...सुंदर!
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