शहीदों को याद करते हुए
फाँसी का फंदा चूम लिया
जब तीनो अमर शहीदों ने
वो बीज धरा पर डाल गए
कुर्बानी की परिपाटी के,
था एक भगत, एक राजगुरू
सुखदेव एक था तीनों में,
उस कोर्टरूम में बस उसदिन
बम धमकाने को फेंका था,
उद्देश्य एक था आज़ादी
अंग्रेजों को भगाना था,
अपने अम्बर की छाती पर
आज़ाद हवा लहराना था,
सूखी रोटी सादा पानी,
अपनी धरती का सुख धानी,
आज़ाद देश का मूल्य बहुत
कुछ वीरों की हो कुर्बानी,
भारत माता की सेवा में
घर बार जिन्होंने छोड़ा था
कर न्योछावर सुख जीवन का
अपनों को सिसकता छोड़ा था,
न कोई लालच था उनको,
उत्कृष्ट इरादा था उनका
बस देश प्रेम ,आज़ाद फिज़ां
सब वीरों का बस एक सपना
अंतिम इच्छा थी तीनों की,
बस एकदूजे के गले मिले
फ़िर चूमें वे इस फंदे को
माँ के मस्तक को ज्यों चूमें,
था सिसक रहा पूरा भारत
और देशप्रेम की अलख जगी
कुर्बान हुए उन वीरों से
अगणित वीरों की फौज उठी,
फ़िर फहर गया अपना झंडा,
अंग्रेजों से आज़ाद हुए,
उन अमर शहीदों ने हमको
आज़ादी की सौगात दिए,
इस आज़ादी को जीना है
इस धरती पर मर मिटना है,
हो जन्मभूमि पर न्योछावर
अपनी आहुति अब देना है।।
©️अपर्णा बाजपेयी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2078...पीपल की कोमल कोंपलें बजतीं हैं डमरू-सीं पुरवाई में... ) पर गुरुवार 25 मार्च 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना प्रिय अपर्णा | शहीदों के योगदान को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता | उनके बलिदान इतहास के स्वर्ण पन्नों पर अंकित हैं | रचना के साथ वीडियो भी डालदेती तो बहुत अच्छा था |हार्दिक शुभकामनाएं और प्यार |
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण गीत ।शहीदों को नमन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना। शहीद दिवस के मौके पर शानदार और सार्थक प्रस्तुति के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंअमर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी है आपने । नमन उन्हें भी और आपको भी ।
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