रंगों का उत्सव
फागुन में रंगों की आई बाहर है,
गले मिलो होली ये सबका त्योहार है।2
हिन्दू और मुस्लिम सिक्ख ईसाई,
मिलजुल के सबने है होली मनाई
सबके गालों पर लगा अब गुलाल है
गले मिलो होली.....
फाग के रंग में रंगी है अवधिया,
कान्हा के गोकुल में नाचे हैं सखियां,
बरसाने लाठी से होता दुलार है
गले मिलो होली ....
काशी में शिव की बारात है आई
भांग के रंग में रंगे हैं बाराती,
गौरा और शिव की निराली ही बात है
गले मिलो होली......
रंगों का उत्सव खुशी का है संगम
शालीन रखना, मचाना न ऊधम,
हुड़दंगी होली से बचना ही शान है
गले मिलो होली....
खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया होली रचना। शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंthat is great web Guest Post Technology
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