जब कभी होना अकेले

 हम मनाते हैं 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' क्योंकि महिलाओं को खुद से प्यार था। श्रम के मूल्य में बराबरी, सत्ता के चुनाव का अधिकार और समाज में स्वयं को समान स्तर पर लाने की चाह ही थी जिसने हमें लंबे संघर्ष के बाद अपना दिन दिया। यह दिन हम सब के लिए अपना होना चाहिए। सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुषों के लिए भी। आज बस इतना कहना है कि हमें ख़ुद से प्रेम करना होगा तभी हम स्वयं को बराबरी के स्तर पर देख पाएंगे।


जब कभी अकेले होना

तो होना आने साथ,

दुलारना खुद को थोड़ा सा,
जैसे चूम लेते हो अपने बच्चे का मस्तक;
एक चुम्बन अपनी हथेलियों पर रखना

अपनी आंखों में झांकना और देखना
मानो नीली झील तुम्हारे मन में ठहर गई है,
एक लंबी सांस लेना और भर लेना हवा को फेफड़ों में,

पांवो के तलवों को छूकर कहना धन्यवाद दोस्त!
तुम्ही ने थाम रखा है इस कठिन समय में,
अपने अंगों को गौर से देखना और महसूसना;
कितनाअमीर बना कर भेजा है ख़ुदा ने तुम्हें,

दूसरों के ख़याल में डूबी हुई औरतों!
थोड़ी देर के लिए खुद के साथ होना,

और दुनिया भर के बोझ से लदे पुरुषों!
तुम्हें भी हक़ है सराहे जाने का:
खुद की तारीफ़ में कुछ लतीफ़े खोजना,
अपने सौंदर्य के कुछ रूपक गढ़ना,
कभी कभी अच्छी होती है आत्ममुग्धता भी...

अपने प्रेम में होना मन का सबसे पवित्रतम भाव है।



अपर्णा बाजपेयी

टिप्पणियाँ

  1. अपर्णा जी, बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना है आपकी..महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई..समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर अवश्य पधारें..सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर भाव प्रधान! इस तरह की कविताओं में महारत हासिल है तुम्हें. न सिर्फ कविता अपितु मन के हूबहू भाव भी ऐसे होते हैं.
    बधाई सुंदर सृजन की!

    जवाब देंहटाएं
  3. शाबास प्रिय अपर्णा | ना जाने क्यों ये कविता मेरी आँखों से ओझल रही | नारी के शोषण के नाम पर बदनाम हुए पुरुषों ने भी कम वेदना नहीं झेली | सच में उन्हें या किसी को भी अपने आपको दुलारना तो बनता है | ये पंक्तियाँ तो मेरी आत्मा को छू गई --

    अपने प्रेम में होना मन का सबसे पवित्रतम भाव है।
    इतनी व्यस्तता के साथ तुम्हारी ये रचनाएँ तुम्हारे विचार मंथन से निकले अनमोल मोती हैं | उन्हें एहतियात से सहेजना | खुश रहो और खूब आगे बढ़े |मेरा प्यार |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय दी, आपका स्नेह पाकर निहाल हूँ, सच आपकी टिप्पणियां मेरा दिन बना देती हैं। काम की थकन हो या उदासी का कोई क्षण... आप के शब्द मेरे लिए पावर हाउस का काम करते हैं।

      हृदयतल से आभार
      सादर

      हटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आहिस्ता -आहिस्ता

मृत्यु के बाद एक पल

हम सफेदपोश!