हँसती हई औरत
उसे हँसना पसंद है
इसलिए उसने चुना हँसना!
तब भी, जब फेंक कर मारता है कोई जूता,
या बंद कर देता है दरवाजों के पार,
वह हँसती है,
अपनी उधड़ी हुई खाल देखकर,
नाभि के नीचे बहते लहू की धार देखकर भी,
वह भूख में भी हँसती है,
बलात्कार ये बाद भी उसे हंसी आती है,
दर्द के भयानक आवेग को दबाकर भी
वह हँसती है..
वह हँसती है क्योंकि सिर्फ हंसना ही हथियार है
हंसना एक मात्र उपचार,
हंसी एक मात्र दोस्त!
और हँसता नहीं कोई उसे देखकर अब...
#अपर्णावाजपेयी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 अगस्त 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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आदरणीय रवीन्द्र जी, रचना को मंच पर स्थान देने के लिए सादर आभार।
हटाएंअब कोई नहीं हँसता क्योंकि उसे पागल करार दे दिया गया है ।।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया संगीता जी
हटाएंसादर