चूहे की बारात (बाल कविता)
चूहा अपनी ही बारात से भाग गया !! आख़िर क्यों ??
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (08 -11-2021 ) को 'अंजुमन पे आज, सारा तन्त्र है टिका हुआ' (चर्चा अंक 4241) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सादर आभार रवींद्र जी, रचना को मंच पर स्थान देने के लिए
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया हमारे लिए संजीवनी की तरह है... ये मिलती रहती हैं तो लगता है कि कुछ अच्छा हो पा रहा है।
सादर
बहुत सुन्दर बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आलोक जी, रचना को पसंद करने और प्रतिक्रिया देने के लिए...
हटाएंइसे ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक पहुंचाने मे सहयोग की अपेक्षा के साथ
सादर
सुन्दर अति सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।, एक राय मेरी रचना पर भी
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