पेंटिंग का राज (धारावाहिक कहानी) भाग 2

मधुलिका को आज नींद नहीं आ रही थी। सारी रात करवटें बदलते- बदलते बीती।  मधुलिका ने कई बार सोचा कि क्यों ना उठकर अदनान के पास जाएं और उससे बात करने की कोशिश करें। लेकिन ऐसा संभव नहीं था एक अनजान आदमी के पास रात में जाना और उससे बात करने की कोशिश करना अपने आप में ही बहुत शर्मिंदा करने वाला विचार था। अगले दिन सुबह नास्ता करते हुए मधुलिका ने देखा कि अदनान साइड वाले टेबल पर अकेले ही बैठकर ब्रेकफास्ट कर रहा है।  पिछले दिन की बातचीत से दोनों के बीच एक बार मुस्कुराहट का आदान-प्रदान हुआ। मधुलिका ने भी अपनी प्लेट लेकर उसी के साथ बैठकर नाश्ता करने के बारे में सोचा। तब तक अदनान ने खुद उसे अपने पास बुलाते हुए कहा कि, " आप हमारे साथ बैठकर नास्ता कर सकती हैं।  हम इतना तो एक दूसरे को जानते ही हैं"। अदनान और मधुलिका दोनों एक ही टेबल पर बैठ कर बात कर रहे थे और खा रहे थे।  
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अदनान बड़े इत्मीनान से खाने का मज़ा  ले  रहा था और बहुत धीरे-धीरे खा रहा था। उसको खाते हुए देखकर लग रहा था जैसे साहिल उसके सामने बैठा हो।  पहले तो वह उसे टोक देती थी और कहती थी " साहिल,  इतनी धीरे-धीरे खाओगे तो पढ़ाई कब करोगे"!

 पुरानी बातें याद कर के अचानक मधुलिका के चेहरे पर एक गहरी मुस्कान आ गई। ये अदनान भी बड़े इत्मीनान से खा रहा था। मधुलिका ने उससे कहा भी, "यार तुम तो बड़ी धीरे-धीरे खाते हो"। अदनान भी सिर्फ मुस्कुरा कर रह गया। उसने कहा "हां खाना तो ऐसे ही खाता हूं क्योंकि इस जिंदगी में खाने से बेहतर कुछ नहीं"। दोनों की थोड़ी बहुत बातचीत हुई। वे अब इतने अजनबी नहीं रह गए थे।मौसम,  शहर  और  दोनो मुल्कों के बारे में बातचीत करना उनके बीच आसान गया था। 

मधुलिका के मन में बार-बार ख्याल आ रहा था कि उस पेंटिंग के बारे में  पूछे कि क्या वह पेंटिंग अभी भी वहां पर है या जिसने दी थी क्या उसका कोई मालूमात है लेकिन वह पूछ नहीं पाई।  उसे यह दिखाने में बहुत शर्म महसूस हो रही थी कि वह पेंटिंग के बारे में जानने के लिए इतनी उत्सुक है । उसने अदनान से पूछा कि वह कब तक है इस शहर में अदनान ने कहा," मैं तो अभी एक हफ्ते यहीं रहूंगा"। मधुलिका का भी एक हफ्ते यही रहने का प्लान था दोनों के बीच धीरे-धीरे अच्छी दोस्ती हो गई थी ।

एक दिन शाम को अचानक मधुलिका ने अदनान के कमरे की घंटी  बजाई। दरवाज़ा खुलते ही बोली,"मैं आज शाम फ्री हूं सोचा आपके साथ शाम की चाय पीकर कहीँ घूमने निकलते हैं"। अब उनकी नज़र  अदनान पर पड़ी। जैसे ही अदनान ने दरवाजा खोला, सामने मधुलिका खड़ी थी । उसको देख कर  वह बहुत हड़बड़ा गया और जल्दी से अपने बेड पर रखा हुआ ना जाने क्या सामान था जिसके ऊपर चादर डाल दी।  मधुलिका ने यह नोटिस किया लेकिन उसने कुछ कहा नहीं और हंसते हुए जोर से बोली ,"मैंने सोचा क्यों ना आज शाम की चाय साथ में पी जाए"। क्या आप व्यस्त हैं।  माफ़ कीजिएगा, मुझे आपसे पहले पूछना चाहिए था " ।

अदनान भी अब तक सामान्य हो चुका था। उससे कहा "हां बहुत अच्छा किया अब हम इतने अजनबी तो नहीं रह गए हैं कि एक दूसरे के कमरे में आने जाने के लिए परमिशन लेनी पड़े"। लेकिन मधुलिका को उसकी इस बात पर हंसी नहीं आई । उसके कमरे का माहौल खुशगवार नहीं लग रहा था जितना कि उसने सोचा था। चाय बहुत अच्छी थी और उन दोनों ने एक साथ चाय पी । अदनान ने कहा कि क्यों ना आज बाहर चला जाए।  

कुछ देर बाद वे दोनों समन्दर के किनारे की सर्द रेत पर टहल रहे थे।  वे दोनों इतने चुप थे कि उनकी साँसे सुनी जा सकती थी। लेकिन लहरों का शोर उनके भीतर की बेचैनी बयां कर रहा था। चाँद आसमान में गोल होकर अपनी रोशनी के शीर्ष पर था। कुछ देर  बाद अदनान और मधुलिका एक जगह पर बैठ गए और रेत के साथ खेलने लगे।  दोनों के बीच बातें नाम मात्र को हो रही थीं। तभी मधुलिका ने देखा कि अदनान ने हूबहू उसकी तस्वीर रेत पर उकेर दी है। वह पूछे बिना न रह सकी ,"अदनान!  क्या आप भी पेंटिंग बनाते है"? अदनान ने कहा, "हाँ , कभी-कभार। ये तस्वीर मैं तुम्हें दे रहा हूं। इसे अपनी स्मृतियों में कैद कर लो। अपनी यादों में रखा हुआ सामान हमेशा अपने पास ही रहता है। उसे कोई भी आपसे दूर नहीं कर सकता।" इतना कहकर अदनान उठ खड़ा हुआ और बोला ,"चलो, वापस चला जाय"।  मधुलिका भी उठ खड़ी हुई। दोनों वापस होटल लौट आए।  

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सुबह जब मधुलिका नास्ता करने के लिए आई तो अदनान वहाँ नहीं था। इतने दिनों से साथ में नास्ता करने से अकेले खाने का मन नहीं किया। उसने सोचा क्यों न अदनान को फ़ोन कर ले। उसके कॉल को  अदनान ने रिसीव नहिं किया। कई बार रिंग होने के बाद भी जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। उसने मैनेजर से उसके कमरे में किसी को भेजने के लिए कहा। थोड़ी देर में ही वहाँ अफरा-तफरी मच गई।  कमरा अंदर से बंद था।  जब होटल स्टाफ़ ने विशेष चाभी से कमरा खोला तो कमरे में अदनान बेड पर पड़ा था।  उसका एक हांथ बेड से नीचे लटक रहा था।

अगले दिन सुबह के अखबार में खबर छपी थी। अदनान हुसैन नामक व्यक्ति होटल के कमरे में मृत पाया गया। उसके पास अपने पासपोर्ट  अलावा किसी साहिल नाम के व्यक्ति का पासपोर्ट और कई विदेशी बैंकों के दस्तावेज मिले हैं। मौत का कारण आत्महत्या बताया जा रहा है। 

आगे पढ़ें अगले अंक में 



टिप्पणियाँ

  1. बड़ी रहस्यपूर्ण कथा है यह। पाठक अनुमान चाहे जो लगा ले, वास्तविकता तो लेखिका की लेखनी से ही उजागर होगी।

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    1. जी आभार , अभी कई रहस्य खुलने हैं। निरंतरता बनी रहेगी।
      पढ़ते रहें। कृपया सम्भव हो तो शेयर भीतर करें ।
      सादर

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  2. वाकई रहस्यपूर्ण...
    अगले अंक के इंतजार में...

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    1. सुधा दी,
      रहस्य से पर्दे उठते रहेंगे।
      पढ़ते रहें और कृपया शेयर भी करें
      सादर

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  3. दोनों भाग अभी पढ़े ।।रोचक और रहस्यपूर्ण । अनुमान ही लगा सकते हैं । बाकी आगे की कथा के लिए उत्सुकता बनी रहेगी ।।

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