पेंटिंग (धारावाहिक कहानी) भाग 3 अंतिम भाग

आरोही पाकिस्तानी मां और ब्रिटिश पिता की बेटी थी जोकि अमेरिका में बेबाक जीवन जीती थी।  साहिल के साथ वह एक ही कंपनी में काम करती थी।  धीरे-धीरे साहिल और आरोही में नजदीकियां बढ़ने लगी थी। साहिल  की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं था जो यह दावा करता कि वह आरोही से प्यार करता है लेकिन आरोही  साहिल की तरफ़ आकर्षित थी और कोशिश करती थी कि साहिल भी उसे उतनी ही तवज्जो दे जितनी वह दे रही हैं। 

 आरोही की पाकिस्तानी मां कुछ ऐसे कामों में लिप्त थी जो कानूनी रूप से सही नहीं थे। आरोही नहीं चाहती थी कि उसकी मां के बारे में किसी को पता चले या उसके घर में किस तरह के काम होते हैं या किस तरह का माहौल है साहिल जान पाए। धीरे-धीरे आरोही और साहिल नजदीक आ गए थे। भले ही मन के स्तर पर उनके बीच बहुत ज्यादा नजदीकी न हो पाई हो लेकिन शारीरिक तौर पर नजदीक थे। मधुलिका धीरे-धीरे साहिल के दिलो दिमाग से गायब हो रही थी लेकिन फिर भी कुछ ऐसा था कि हर रात सोने के पहले एक बार मधुलिका का चेहरा साहिल की नजरों के सामने से घूम जाता था। वह हमेशा चाहता था कि मधुलिका ही उसके साथ , उसके जीवन में उसके पास रहे । 

 एक दिन साहिल और आरोही अपने घर में थे कि अचानक डोर बेल बजी। आरोही ने साहिल को रोका और कहा, " मैं  खोलती हूँ "। जैसे ही आरोही ने दरवाजा खोला उसकी मां बदहवास सी उससे लिपट गई।  वे बेहद डरी हुई थीं। साहिल भी उन्हें देखकर सशंकित हो गया। " क्या आप ठीक हैं,  क्या हुआ आपको"? साहिल के मुँह से कई  सवाल एक साथ निकले। जवाब आरोही ने दिया।  "She is fine, dont worry"। और उन्हें लेकर कमरे में चली गई । साहिल बाहर बैठ कर सोचता रहा आख़िर माजरा क्या है?  आरोही कुछ बता क्यों नही रही!

कुछ देर बाद आरोही और उसकी मां कमरे से बाहर आईं और साहिल को एक पैकेट दिया जो कि उसे किसी बिल्डिंग में पहुंचाना था । उन्होंने कहा यह एक बहुत जरूरी कागजात है और इन्हें समय पर पहुंचाना बहुत जरूरी है। वह काम कर देने के लिए आरोही की मां मिन्नतें करने लगी। उनकी हालत देखकर साहिल समझ गया कि मामला पेचीदा है। वह डर रहा था लेकिन उनकी हालत देख मना नहीं कर पा रहा था। उसने पैकेट ले लिया और उस जगह का पता भी। 

साहिल पैकेट लेकर अपनी गाड़ी से निकल ही रहा था कि आरोही ने पीछे से आकर जो चीज उसे थमाई वह एक लेटेस्ट मॉडल की पिस्टल थी। आरोही ने कहा, "अगर जरूरत हो तो इसका इस्तेमाल कर सकते हो।  वैसे होगा कुछ नहीं। तुम यह पैकेट पकड़ा कर वापस आ  जाना"। 

साहिल बिल्डिंग में पहुंचा तो कुछ लोगों ने उसे अगवा कर लिया और उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर जाने कहां पर ले गए।  किसी ने उससे पूछा, " क्या तुम वह सामान लाए हो "? उसने कहा, "हां मैं लाया हूं"। वह पैकेट उसने किसी व्यक्ति के हाथों में दे दिया । थोड़ी देर बाद उसे फिर वापस उसकी गाड़ी के पास छोड़ दिया गया। वह अभी गाड़ी में बैठ ही रहा था कि एक आदमी दौड़ता हुआ आया और उसको पकड़ कर खींचता हुआ फिर से अंदर ले गया और उसे  एक अँधेरे कमरे में बंद कर दिया। कमरे में आकर किसी ने फिर उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी और उसको एक कुर्सी पर बैठाकर बांध दिया गया। 

आस-पास से आती आवाजों से पता चल रहा था कि वह गैराज जैसी कोई जगह है। साहिल अपने हाथों को छुड़ाने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन वह अपने हाथों को खोल नहीं पा रहा था। लगभग तीन-चार घंटे बीत गए होंगे।  कोई उसके पास नहीं आया। वह सोच रहा था "क्या उसे यहीं पर बंधे रहना पड़ेगा या कोई उसे छुड़ाने भी आएगा"।

 साहिल मन ही मन उस दिन को कोस रहा था जब वह पहली बार आरोही से मिला था। तभी उसे दरवाजा खुलने की आहट हुई और लगा कि कोई अंदर आया है। जो व्यक्ति अंदर आया उसने कहा, "जो सामान तुम लाए थे वह कम है। इसलिए तुम्हें हम अभी नहीं छोड़ सकते। जब तक हमारे पास ऊपर से आदेश नहीं आ जाता। क्या तुम खाना खाओगे"।

साहिल गिड़गिड़ाते हुए बोला "मुझे छोड़ दो। मैं नहीं जानता कि उस पैकेट में क्या था। जो पैकेट  मुझे जैसे दिया गया था वैसे ही लेकर मैं आ गया"। उसकी बात उस आदमी ने नहीं सुनी।  उसने साहिल का मुँह बांध दिया और उसके पेट पर जोर से एक लात मारी। दर्द से तड़पता हुआ साहिल अधमरा हो गया था। 

साहिल एक ऐसे जाल में फंस चुका  था जिससे बाहर आना नामुमकिन था।  एक पूरी रात साहिल वैसे ही बंधा रहा। कोई भी उसे खोलने नहीं आया। अगले दिन सुबह फिर से उसके कमरे का दरवाजा खुला और इस बार किसी औरत के आने की आहट उसे मिली। तभी किसी ने उसकी आंखों पर बंधी पट्टी खोल दी। सामने जो नजारा था वह अंदर तक रूह को कंपा देने वाला था। उसके सामने आरोही खड़ी थी। आरोही जिसके नाक,  कान और मुंह से खून ही खून बह रहा था।  उसको बहुत चोट पहुंचाई गई थी । आरोही ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। आरोही ने उसी के सामने कबूला कि ख़ुद उसने ही पैकेट में कम सामन डालकर भेजा था ताकि उसकी माँ कुछ पैसों का इंतज़ाम करके भाग सके।

साहिल के सामने ही आरोही को गोली मार दी गई और वह देखता रहा।  एक मोटा तगड़ा आदमी जो उस कमरे में पहले से मौजूद था उसने साहिल के पॉकेट से वही पिस्टल लेकर आरोही को गोली मार दी और पिस्टल जबरदस्ती उसके हाथों में थमा दी। 

आरोही मर गई और पिछले 24 घंटे के भीतर जो कुछ हुआ था वह साहिल को अंदर तक हिला देने के लिए काफ़ी था। साहिल को उन लोगों ने छोड़ दिया और कहा अगर यह सब किसी और को पता चला तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।  

साहिल अपने कमरे पर लौट आया था। पिछले 24 घंटे में उसने जो कुछ देखा था वह कल्पना से कोसों दूर था।  एक जीते- जागते इंसान का खून कर दिया गया था। वह पूरे घटनाक्रम हो समझ ही नहीं पा रहा था।  

उस बिल्डिंग में कौन था, वे लोग कैसे थे या कुछ भी वह नहीं देख सका। लेकिन साहिल अंदर से डर गया था । वह समझ गया था कि यह कुछ ऐसा है जो सही नहीं है । वह सोच रहा था कि अगर कभी उसके घर वालों को पता चला कि साहिल किसी ऐसे काम में लिप्त है जो कानूनी रूप से अवैध है तो उसके मां बाप जिन्होंने इतनी मेहनत-मशक्कत से उसे अमेरिका भेजा है उन पर क्या बीतेगी।

अभी एक हफ्ता ही बीता होगा । वह अपने ऑफिस जा रहा था तभी उसके फ़ोन पर एक कॉल आई और उससे आकर मिलने के लिए कहा गया।  जिस जगह का पता दिया गया वह एक मार्केट में थी। जैसे ही साहिल ने अपनी कार रोकी वही मोटा आदमी जिसने आरोही पर गोली चलाई थी आकर उसकी कार में बैठ गया और उसको बोला, "चलते रहो"। कार में उस आदमी ने नोटों से भरा हुआ एक बैग उसे दिया और कहा कि इन रुपयों को  बैंक में जमा कराना है।  उसे कई अकाउंट नंबर दिये गये जिन पर उसे रुपये जमा कराने थे। उसने कहा अगर यह काम ठीक तरीके से नहीं हुआ तो तुम्हारे भेजे में गोली मार दी जाएगी ।

साहिल चुपचाप गाड़ी चला रहा था और उससे कुछ नहीं बोला। वह लौट आया । अब साहिल उस बैंक में पहुंचा जहां पर उसका अपना अकाउंट था। उसने उन दिए गए अकाउंट पर वह रुपए जमा करा दिए और उसकी रिसिप्ट अपने पास रख ली। 

उससे कई बार रुपये जमा कराने वाला काम कराया गया। उन लोगों का नेटवर्क बहुत बड़ा था।  साउथ एशिया के कई देशों में उसे भेजा जाता और रुपयों के लेनदेन के काम करवाये जाते। अब वह यह सब बहुत आसानी से कर लेता था।  सीधा सच्चा साहिल,  तेज तर्रार अदनान हुसैन बन चुका था। 

अदनान जब भी कोई पेंटिंग बनाता उसमें मधुलिका  ही होती।  मानों उसकी उँगलियाँ मधुलिका के अलावा सब कुछ बनाना भूल चुकी थी। जब भी वह कागज पर कुछ  उकेरने की कोशिश करता उसकी उँगलियाँ सिर्फ मधुलिका का चेहरा ही बनाती।  

कई देशों के अमीरों से अब उसकी जान-पहचान थी। वह जानता था कि  जिस दलदल में वह घुस चुका है उसमें से निकलना नामुमकिन है। वह किसी  तरह  बस एक बार अपने मां- बाप और मधुलिका से मिलना चाहता था। कुछ ही दिनों बाद उसको इंडिया जाने का मौका मिला। 

 उसे घर पर एक एनवेलप मिला जिसमें उसका टिकट था और कि उसे इंडिया जाना है और जाकर फला फला होटल में रहना है। जहां कुछ ख़ास लोगों से मुलाकात करनी है। यह काम उसे कुछ उम्मीद दे रहा था। शायद उसकी ख्वाहिश पूरी हो सके। वह मन ही मन खुश था।

 इंडियन एयरपोर्ट पर उतर कर सबसे पहले वह एक मेकअप आर्टिस्ट के पास गया और उसने अपनी शक्ल सूरत बदलवाली। वह अदनान हुसैन की शक्ल में आ गया था। एक ऐसा आदमी जो कहीं नहीं था। अदनान हुसैन न लाहौर का था न ही इंडिया का। वह जिस देश में जाता एक अलग पहचान के साथ जाता।  इंडिया में भी अदनान हुसैन अपनी नई पहचान के साथ आया था । 

साहिल जब इंडिया पहुंचा और उसे उस होटल में  वही लड़की मिली जो उसके दिल पर कब्जा किए हुई थी। वह अपनी सारी बातें भूल गया था। लेकिन जो काम था उसे सौंपा गया था उसे करना ही था। एक  हफ्ता उसकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत समय था। जब वह सुबह और शाम मधुलिका के साथ बिताता। उससे बातें करता और उसकी हंसी में खो जाता। यह वक़्त वह कैद कर लेना चाहता था। 

मन ही मन उसने एक ऐसा निर्णय ले लिया था जो उसे सुकून दे रहा था। उन दिनों वह अपनी ख्वाहिश भरपूर जी लेना चाहता था। उस रात समुद्र के किनारे उसने अपनी साँसों को अंतिम बार महसूस किया और अपना प्यार रेत पर बनाई उस तस्वीर में बयां किया जो कुछ देर बाद लहरों के साथ बह गई था, जैसे वह वक़्त के हाथों ख़त्म हो रहा था। 

उस एक हफ्ते में उसने एक पेंटिंग बनाई और अपने उस रूम में रख दी। सफेद पाउडर की बनी हुई पेंटिंग मधुलिका की पेंटिंग थी जो कि पुलिस को उसके कमरे में मिली। उस पेंटिंग के फ्रेम में आरोही और उसकी मां की तस्वीर थी। उस जगह का एड्रेस था जहां-जहां पर वह आदमी मिला था। और भी कई सारी ऐसी बातें लिखी थी जो पुलिस के काम आ सकती थी। साहिल ने एक नोट मधुलिका के लिए लिखा था "मधु! साहिल अदनान हुसैन के शरीर में मर गया लेकिन तुम्हारे दिल में जिंदा रहेगा। साहिल "।।


समाप्त 




 



टिप्पणियाँ

  1. अच्छी कहानी रची आपने। आपकी यह प्रतिभा और निखरे, यही शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।

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    1. जितेन्द्र जी आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत धन्यवाद
      सादर

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