मेरी नज़र में कहानी 'नेताजी का चश्मा '

नेता जी का चश्मा 'स्वयं प्रकाश' जी की एक कहानी है 'नेता जी का चश्मा'। यह कहानी पाठ्यक्रम में शामिल है और देशभक्ति की भावना को बल प्रदान करती बेहतरीन कहानी है।  
कहानी में कैप्टन का चरित्र लोगों को एक साथ कई संदेश देता है।जब पाना वाला कहता है “वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की यह टिप्पणी इशारा करती है उस ओछी मानसिकता की ओर जो दिव्यांगों को हीन समझती है।
 कैप्टन एक बूढ़ा कमजोर आदमी है जो चश्मे बेचता है। वह जब भी सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति पर चश्मा गायब देखता है तो  जो भी खाली फ्रेम उसके पास होता है उसे लगा देता है।  कैप्टन की नजर में मूर्ति पर चश्मा ना होना एक अधूरापन है और यह अधूरापन इंगित करता है उस नजरिए की ओर जो यह कहता है कि अगर हमारा चश्मा ठीक है, हमारी नजर ठीक है तो हम सब कुछ ठीक-ठाक देख सकते हैं।
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 दोस्तों स्वयं प्रकाश जी की एक कहानी कई तरीके से देखी जा सकती है। पुरानी समीक्षा पढ़ने के बाद लगता है कि देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करने के लिए स्वयं प्रकाश जी ने कैप्टन का चरित्र रचा है  लेकिन वहीं पर अंत में जब बच्चे सुभाष चंद्र बोस जी की प्रतिमा पर सरकंडे का चश्मा लगा देते हैं तो यह भी समझ में आता है कि आने वाली पीढ़ी यह समझेंगी कि हमारे जो महान आदर्श हुए हैं उन्हें उसी तरीके से बनाए रखना भी कितना जरूरी है।  हमारी पीढ़ियों को यह समझाना जरूरी है कि जिन लोगों ने इस देश को बनाने में अपने आप को इस देश पर कुर्बान करने में देर नहीं कि, पीछे नहीं हटे; हमें उनकी थाती को बचा कर रखना है।
 दोस्तों स्वयं प्रकाश जी की कहानी 'नेताजी का चश्मा, कई मायने में खास है। उस कहानी को हम सबको पढ़ना चाहिए। हर पढ़ने वाले का नजरिया अलग होता है लेकिन अगर हम पाठ्यक्रम में जैसा पढ़ाया जा रहा है सिर्फ उसी को समझेंगे तो वह हमारी सीख को कभी भी पूरा नहीं करेगा। हर कहानी को पढ़ने के बाद पाठक को यह सुनिश्चित करना होता है कि उसने उस कहानी में क्या पढ़ा । एक ही चीज को लोग अलग-अलग तरीके से देखते हैं ,अलग-अलग तरीके से समझते हैं। लेखक का काम लिखना है और समाज को समर्पित कर देना है।  स्वयं प्रकाश जी ने भी वही किया है । 
अब समाज, शिक्षक और बच्चों को यह तय करना है कि कहानी के चरित्रों से क्या सीखते हैं या कहानी का घटनाक्रम उन्हें क्या संदेश देता है। 
कहानी का 

श्रोत- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/jhks110.pdf

टिप्पणियाँ

  1. मैं इस कहानी को यथाशीघ्र पढूंगा अपर्णा जी। आपके विचार बहुत सुलझे हुए हैं। मैं शब्दशः सहमत हूँ।

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    1. https://ncert.nic.in/textbook/pdf/jhks110.pdf
      आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार
      पोस्ट में कहानी का लिंक लगा दिया है, आप चाहें तो कहानी डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं।

      हटाएं
  2. बहुत ही सारगर्भित कहानी है मैंने पढ़ी है।
    कहानी की सार्थकता और सार का सुंदर संदेश साझा करने के लिए आपका हार्दिक शुक्रिया।

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