भावनाओं का बाज़ार (कविता)
बिकता है आदमी,
मुर्दा भी!
अगर हो कामयाब या चहेता;
बस बेचने वाला हो तेज
पकड़ रखता हो बाज़ार की नब्ज़ पर,
फैन काट लेते हैं नस तक,
फ़िर टी शर्ट क्या चीज़ है,
ऊपर से छूट भी!
अपने हीरो को अपने पास रखने के लिए खरीद ही लेंगे,
इंसानियत की औकात ही क्या है??
#Bycotflipcart , #sushantsinghrajput ,
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ जुलाई २०२२ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
ठीक कहा आपने
जवाब देंहटाएंआज कल भावनाओं का ही व्यापार हो रहा है ।।
जवाब देंहटाएंप्रिय अपर्णा मेरा लिखा आमंत्रण शायद स्पेम है कृपया देखकर.पब्लिश कर लीजिए।
जवाब देंहटाएंआज पाँच लिंक के पेज पर आपकी रचना साझा की गयी है।
धन्यवाद श्वेता जी,
हटाएंसादर