चंद्रहार या चांद बालियां

आसमान से झाँक रहे हो
तुम क्या जानो मामाजी

दुनिया कितनी बदल गई है 
नई हवा से लो कुछ सीख ।
Image credit shuterstock 

धरती तेरी बहना है जब 
मिलने क्यों न आते हो ,
चंदा तारे घर ले आऊं 
मन को क्यों भरमाते हो ।
एक तरफ़ हैं रजत रश्मियां 
एक ओर सुन्दर मुखड़ा,
मेरी दुल्हन मांग रही है 
तुझ सा कुछ उपहार बड़ा ।
मैं भी ढूँढ रहा हूँ कब से 
चाँद सरीखा हार कोई। 
चंद्र हार या चांद बालियां 
साड़ी पर चांदी की बेल,
पत्नी के हाथों रख पाऊँ 
ऐसा कुछ तू कर दे खेल।
भरी टोकरी सपनों वाली,
ख़ाली क्यों अपनी है जेब 
नीचे आओ तो जानोगे 
मुस्कानें सब कितनी fake ।

अम्मा झूठ बोलती हैं 
कि चंदा मेरा भाई है,
नहीं जानती रिश्ते-नाते 
के न कोई मानी हैं।
समय नहीं है,काम बहुत है 
मिलने की न बात करो 
चंदा को तुम friend बना लो 
Facebook पर add करो 
जब जब मिलने का मन होवे 
प्रोफाइल पर visit करो,
बात करने की इच्छा हो तो 
मैसेंजर पर Hello करो।  
Notification देख के चंदा 
तुम तक खुद आ जाएगा,
रिश्ते नाते सब सच्चे हैं
इसका भरम निभाएगा। ।


टिप्पणियाँ

  1. बहुत सुन्दर वर्णन, आधुनिक सत्य 🙏🏼

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  2. रचना को मंच पर साझा करने के लिए आभार. सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत खूब प्यार भी उलहाना भी उपाय भी।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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