जीवन दीप


जिन्हे दीवाली पसंद थी ;

उन्होंने रंगो को उजाला समझा,

मुस्कानों को फुलझडियां,

बेटियों को लक्ष्मी,

किताबों को सरस्वती,

पुत्रों को संपदा

पुत्र वधुओं को समृद्धि, 

और

स्वयं को समझा कुम्हार!

बना ही लेगा जीवन को दीप सा

ऊर्जा से भर देगा धरती, आकाश,

दीप्त करेगा संसार,

चाक पर घूमता जी लेगा जीवन।













टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट