भारत में भाषाएँ सीखने का महौल: एक साक्षात्कार

भारत जैसे विविध भाषाई देश में भाषाएं सीखने का माहौल बनाना बेहद जरूरी है।   जब हम उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर, पूरब से पश्चिम या पश्चिम से पूरब की ओर यात्राएं करते हैं तो अपने ही देश में कई बार हमें भाषाएं न जानने से अलग-अलग तरह के अनुभव होते हैं। कभी अच्छे अनुभव तो कभी ऐसे अनुभव जो हमें  एहसास कराते है कि हम भाषाएं सीखने के प्रति इतने पीछे क्यों है! बच्चों के लिए सीखने सिखाने का माहौल बनाना बेहद जरूरी है ।

हम जिस प्रकार का माहौल अपने बच्चों को देते हैं बच्चे उसी प्रकार सीख कर आगे बढ़ते हैं ।अगर हम अपने बच्चों को एक ऐसा माहौल देंगे जहां पर वह उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम की भाषाओं को सीख सके और भाषाएं सीखने के प्रति उनके अंदर रुचि जागृत हो सके तो यह उनके बचपन को सही दिशा देना होगा ।

इन्हीं सारे विषयों पर हमने बात की है रंगराज अयंगर जी से जिन्होंने हिंदी भाषा के प्रति अपने लगाव को दर्शाया है और हिंदी भाषा से संबंधित उनकी सात किताबें भी प्रकाशित हुई हैं आइए सुनते हैं उनसे बातचीत का पहला अंश-----


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M. R. Iyengar.                                      
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