दादा ने सुबह खटिया से उठते ही दादी से कहा, "कुछ मजेदार बनाओ आज ,खाकर दिल खुश हो जाए, बहुत दिन से उबला हुआ खाना खा कर लग रहा है जबान से स्वाद ही गायब हो गया है"। दादी ने दादा को घूर कर देखा, मानो कच्चा निगल जायेंगी। दादा ने नज़रें दूसरी तरफ़ फ़ेर लीं। उनकी इतनी हिम्मत कि दादी की नजरों का सामना कर सकें!
"बुढ़ापे में चटोरी ज़बान पर काबू नहीं है। तेल मसाला खाते ही पाखाना दौड़ने लगते हैं, नारा बांधने की भी सुध नहीं रहती और खाएंगे मजेदार, स्वादिष्ट" बड़बड़ाते हुए दादी रसोई के डिब्बे खंगालने लगी।
दादा घंटा भर से इंतज़ार कर रहे हैं कि अब बुलावा आए खाने का, लेकिन कहीं कोइ सुगबुगाहट नजर नहीँ आ रही। तब तक दादी थाली लेकर आती हुई दिखीं और धीरे से कमरे में जाकर दादा को इशारे से बुलाया।
थाली देखकर दादा की आंखें चमकने लगी। पूरी, खीर, गोभी आलू मटर की सब्जी,बैंगन भाजा रसगुल्ला। दादी ने कहा ," पहले कमरा बंद करो, कोई देख न ले। फिर चुपचाप खा लो, और खबरदार जो थाली में एक निवाला भी छोड़ा।" दादा की नज़र थाली से नहीं हट रही, याद नहीं आ रहा कब ऐसे भोजन के दर्शन हुए थे। दादी से बोले, ज़रा मेरे दांत ले आओ, वहीं मेज पर रखे हैं। रात में निकाल कर रखे थे"। दादी दांत खोजने लगीं। दांत कहीं नहीं मिले। पूरा कमरा छान लिया। इधर दादा से खाने का इंतजार नहीं किया जा रहा, उधर दांत नहीं मिल रहे, खाएं तो खाएं कैसे! किसी के आ जाने का डर अलग से।
दादी भी परेशान आखिर इनके दांत कौन उठा ले गया। दादा ने तब तक खाना शुरू कर दिया, सब्जी पी गए, रसगुल्ला ऐसे ही खा लिया। जो कुछ बिना दांतों के चबा सकते थे चबा गए, कुछ पानी के साथ निगल लिया और बरसों बाद पेट भर कर खाना खाया। दादी से बोले,"अब दांत खोजने की जरूरत नहीं। वैसे भी वे कौन सा साथ जाएंगे। निश्चिंत हो जाओ और मेरा बिस्तर जमीन पर लगा दो। अब पेट भर खा कर मरूंगा। तुम भी शांति से रह सकोगी कि मेरी आख़िरी इच्छा पूरी कर दी। मैं भूखा नहीं मरना चाहता था। बरसों से डाक्टरों का बताया खाना खाकर कभी पेट भर नहीं खा सका।"
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 07 अगस्त 2025 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
व्वाहहहह
जवाब देंहटाएंआस पूरी हुई
वंदन
बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह! मृत्यु का स्वागत ख़ुशी ख़ुशी करना आ जाये तो बात ही क्या है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंYe kahaani poorntaya bhartiya hai! Ham log aisa hi sochte hain, aur is soch ko samajh bhi sakte hain.
जवाब देंहटाएंऔर फिर दादा जी ने अंतिम साँस ले ली. वाह!
जवाब देंहटाएं