#चुनाव


टिप्पणियाँ

  1. फिर ही जनता चुनती है ... यही मजबूरी है शायद ...

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  2. यही तो मज़बूरी है जनता की कि उसे पांच साल में एक बार मौका मिलता है फिर भी अच्छे लोग नहीं चुने जाते। सब पैसे का खेल बन गया है।

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    1. अनीता जी,लोकतंत्र अब मजाक बन गया है.
      मेरी रचनाओ पर आपकी प्रतिकृयायें मिलती हैं तो लगता है कोइ है जो बहुत करीब से देख रहा है इन शब्दों में छुपी कहानियों को.
      आप का बहुत बहुत आभार. इसी तरह अपना स्नेह बनाये रखिये .
      सादर

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