#चुनाव को नवंबर 27, 2017 लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप टिप्पणियाँ दिगम्बर नासवा28 नवंबर 2017 को 11:39 am बजेफिर ही जनता चुनती है ... यही मजबूरी है शायद ...जवाब देंहटाएंउत्तरअपर्णा वाजपेयी28 नवंबर 2017 को 10:48 pm बजेनासवा जी, सादर आभारहटाएंउत्तरजवाब देंजवाब देंAbhi28 नवंबर 2017 को 2:54 pm बजेWe all misfit.True said.जवाब देंहटाएंउत्तरजवाब देंAnita Laguri "Anu"28 नवंबर 2017 को 7:01 pm बजेयही तो मज़बूरी है जनता की कि उसे पांच साल में एक बार मौका मिलता है फिर भी अच्छे लोग नहीं चुने जाते। सब पैसे का खेल बन गया है। जवाब देंहटाएंउत्तरअपर्णा वाजपेयी28 नवंबर 2017 को 10:47 pm बजेअनीता जी,लोकतंत्र अब मजाक बन गया है.मेरी रचनाओ पर आपकी प्रतिकृयायें मिलती हैं तो लगता है कोइ है जो बहुत करीब से देख रहा है इन शब्दों में छुपी कहानियों को.आप का बहुत बहुत आभार. इसी तरह अपना स्नेह बनाये रखिये .सादरहटाएंउत्तरजवाब देंजवाब देंटिप्पणी जोड़ेंज़्यादा लोड करें... एक टिप्पणी भेजें
फिर ही जनता चुनती है ... यही मजबूरी है शायद ...
जवाब देंहटाएंनासवा जी, सादर आभार
हटाएंWe all misfit.
जवाब देंहटाएंTrue said.
यही तो मज़बूरी है जनता की कि उसे पांच साल में एक बार मौका मिलता है फिर भी अच्छे लोग नहीं चुने जाते। सब पैसे का खेल बन गया है।
जवाब देंहटाएंअनीता जी,लोकतंत्र अब मजाक बन गया है.
हटाएंमेरी रचनाओ पर आपकी प्रतिकृयायें मिलती हैं तो लगता है कोइ है जो बहुत करीब से देख रहा है इन शब्दों में छुपी कहानियों को.
आप का बहुत बहुत आभार. इसी तरह अपना स्नेह बनाये रखिये .
सादर