नदी बहती रहे!
बहती हुयी नदी
अपने साथ लाती है संस्कृतियों की धार,
न जाने कितने संस्कारों की साक्ष्य बनती है,
जीवन के हर कर्म में साथ साथ जीती है।
प्रेमी जोड़ों के ख़ूबसूरत एहसास
बहे चले आते हैं नदी के साथ......... कि
बस जाती है पूरी की पूरी सभ्यता...
विकसित होती हैं परम्पराएं,
नदी के पेट में सिर्फ पानी ही नहीं होता,
दफ़न होते हैं न जाने कितने राज़ भी........
पहाड़ी साँझ का सूर्य भी बहा चला आता है,
मैदानी बाजारों में काम तलाशता है;
खोजता है जीवन की उम्मीद .....कि
ज़िंदगी बहती रहे नदी के साथ.
बड़ी -बड़ी चट्टानें पानी के साथ बहते हुए;
भूल जाती हैं अपना शिलापन,
हजारों मील के सफर में
गायब हो जाती है उनकी नुकीली धार,
शिलाएं छोटे-छोटे चिकने पत्थर बन
नन्हे हांथों के खिलौने हो जाती हैं,
मैदानी बच्चों के संग घर-घर घूमती हैं।
नदी ही धार
कभी काटती है, कभी उखाड़ती है
तो कभी बसाती है....
मैदानी बच्चों के संग घर-घर घूमती हैं।
नदी ही धार
कभी काटती है, कभी उखाड़ती है
तो कभी बसाती है....
भूख में ,प्यास में ,सृष्टि के विकास में
नदी ही सहारा है,
बची रहेगी नदी तो बची रहेंगी सभ्यताएं,
नालों में तब्दील होती नदियाँ
दे रहीं दरख्वास्त!
ज़िंदा रखो हमें भी
अपने साथ -साथ।।
(picture credit google)
(picture credit google)
बहुत सुन्दर 👏👏👏💐
जवाब देंहटाएंआभार नीतू जी
जवाब देंहटाएंNICE POEM
जवाब देंहटाएंvery beautifully written
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’सोशल मीडिया पर हम सब हैं अनजाने जासूस : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजा जी, मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार.
हटाएंसादर
बहुत ख़ूब नदी बची रही तो बची रहेंगी सभ्यताएँ ...
जवाब देंहटाएंसही कहा है बिलकुल ...
अब सही हो गया ब्लॉाग आपका
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
आभाप पढ़वाने के लिए
सादर
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १२ फरवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंनदी के महत्व को बताती बेहतरीन अभिव्यक्ति...
वाह!!!
बहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंविचार परक और सार्थक सृजन | नदी के बहाने सुंदर रचना प्रिय अपर्णा | सस्नेह --
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