दीवाली पूजा विधि

दिवाली का पर्व पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है । यह 5 दिनों का पर्व होता है। धनतेरस, नरक चतुर्दशी, अमावस्या को दीपावली, अमावस्या के बाद प्रथमा तिथि को होती है गोवर्धन पूजा और उसके बाद भाई दूज।

यह पांच त्योहारों का संगम है और 5 दिनों के बाद बिहार और उससे जुड़े हुए लोगों में शुरू हो जाती है छठ पूजा की तैयारी। दोस्तों दीपावली के पहले घरों में साफ-सफाई और एक-एक सामान को बहुत अच्छे से शुद्धता के साथ रखने का कार्य हर घर में किया जाता है।

दोस्तों आज हम बात करेंगे कि दीपावली के पूजन में हमें किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और इसकी पूजा की पारंपरिक विधि क्या है । अगर हम सक्षम हैं और विधि विधान से पूजा करते हैं तो हमें उसका फल जरूर मिलता है ऐसा हमारे शास्त्रों में वर्णित है.

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दिवाली का त्यौहार हर व्यक्ति, हर परिवार और हर समाज के लिए खुशहाली का पर्व है. इस दिन धन की देवी महालक्ष्मी का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजन किया जाता है. महालक्ष्मी के पूजन से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुख और आनंद की प्राप्ति होती है. दीपावली के दिन सर्वप्रथम घर की अच्छी प्रकार से साफ सफाई करें । स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हो सके तो दिन भर अन्न न ग्रहण करें। 

संध्या समय लक्ष्मी पूजन के मुहूर्त में पूरी पूजा सामग्री एकत्रित करके लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों को सामने रखकर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके सर्वप्रथम मूर्तियों को शुद्ध जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर से बारी बारी से स्नान कराएं। उन्हें साफ कपड़े से पोंछ कर पूजा घर में शुद्ध आसन पर स्थापित करें। उसके बाद मौली और वस्त्र आभूषण अर्पित करें। मौली सिंदूर लगाएं। चावल चढ़ाएं। पुष्प की माला चढ़ाएं। धूप दीप से पूजा करें। नैवेद्य, मिठाई खील बताशे, फल इत्यादि का भोग लगाएं तथा दक्षिणा अर्पित करें। कपूर से लघु आरती करें। अगर पूजा में कोई त्रुटि हो गई हो तो उसके लिए क्षमा मांगे और अंत में 5 अथवा 11 दीपक जलाकर घर में रख दें।

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उसके बाद महालक्ष्मी की प्रधान आरती करें । इस प्रकार आप घर में महालक्ष्मी की पूजा बहुत ही सरल तरीके से कर सकते हैं.

लक्ष्मी जी की आरती

जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता , तुमको निशदिन सेवत हर विष्णु धाता।। ॐ।।

उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जग माता, सूर्य चंद्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।। ॐ।।

दुर्गा रूप निरंजनी सुख संपति दाता, जो कोई तुमको ध्यावत रिद्धि, सिद्धि, धन पाता।। ॐ।।

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता, कर्म प्रभाव प्रकाशिनी भव निधि की त्राता।। ॐ।।

जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता । सब संभव हो जाता मन नहीं घबराता।। ॐ।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। खान पान का वैभव सब तुमसे आता।। ॐ।।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।। ॐ।।

महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई जन गाता, उर आनंद समाता पाप उतर जाता।। ॐ।।

Disclaimer यहां दी गई जानकारी पारंपरिक रीतियों और लोक प्रचलन के अनुसार दी गई है। इसके पूर्णत: सही होने का दावा नहीं किया जाता है।


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