चाय पर गपशप
उन्होंने एक महायुद्धके बारे में बात की,
साझा किए कुछ पुराने घाव,
एक ने बताया कैसे छोड़ आया था वो
अपने बच्चे को बारूद के ढेर पर,
और गायब हो गया था दो सीमाओं के बीच,
एक ने कुछ निशान दिखाए और बताया
कैदी के रूप में कैसे सामना किया था आदिम पशुता का,
वो ज़िंदा थे
अपनी नागरिकता अपने चेहरे पर लादे हुए,
एक कप चाय के साथ
बांट लिए थे उन्होंने
अपने अपने देश.
#AparnaBajpai
साझा किए कुछ पुराने घाव,
एक ने बताया कैसे छोड़ आया था वो
अपने बच्चे को बारूद के ढेर पर,
और गायब हो गया था दो सीमाओं के बीच,
एक ने कुछ निशान दिखाए और बताया
कैदी के रूप में कैसे सामना किया था आदिम पशुता का,
वो ज़िंदा थे
अपनी नागरिकता अपने चेहरे पर लादे हुए,
एक कप चाय के साथ
बांट लिए थे उन्होंने
अपने अपने देश.
#AparnaBajpai
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच( सामूहिक भाव संस्कार संगम -- सबरंग क्षितिज [ पुस्तक समीक्षा ])पर 13 मई २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंhttps://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/05/blog-post_12.html
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टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'
अपनी नागरिकता अपने चेहरे पर लादे हुए,
जवाब देंहटाएंएक कप चाय के साथ
बांट लिए थे उन्होंने
अपने अपने देश.
बहुत खूब....