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कबूतरों की कौम

एक कबूतरी ने दूसरी कबूतरी से कहा , "तुम्हारा कबूतर मेरे आसमान में आ जाता है, उसे रोक लो नहीं तो टांगे तोड़ दूंगी (पंख नोच दूंगी)". दूसरी ने कहा बताना कब टांगे तोड़ने का प्लान है, मैं भी आजाऊंगी। दूसरी आश्चर्य में पड़ गई, ऐसा क्यों! दूसरी ने कहा, "वह किसी और का है बस सबके आंगन में ताकाझांकी करता है".. कबूतर किसी और के आंगन में झांक रहा है . यह कबूतरों की कौम बड़ी..…है यार।

देखो मन का दर्पण

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 ग्रहों और नक्षत्रों की चाल बदलती है, बदल जाता है अच्छा वक्त बुरे में, बुरा अच्छे में, समय की सुई को कौन रोक पाया है, जैसे रोका नहीं जा सकता वक्त, रोकी नहीं जा सकती मन की गति  सवेरा शाम में बदला नहीं जा सकता  वापस नहीं लिए जा सकते शब्द, ठहरो न! देखो मन का दर्पण  तुम कितना बदले हो ।।

बावला नेता

बावलों सी बात करता है, देखो न, कितनी जोर से हंसता है, बाप के कंधों पर खड़े होकर, अपनी मेहनत की बात करता है।। #झारखंडचुनाव 

यार ठहरो न कुछ देर और!

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 जाते हुए नवंबर से  आते हुए दिसंबर से  कोई पूछता नहीं  हाल- चाल, चाय - कॉफी, नहीं कहता, यार ठहरो न कुछ देर और!  बड़ा अच्छा रहा तुम्हारा साथ,  रखकर हाथ सीने पर सुनाता नहीं कोई धड़कने,  भूल जाता है शुक्रिया में झुकना,  दिनों महीनों का साथ क्या यूं ही भूल जाएं  स्मृतियों की ज़िल्द इन तारीखों से ही बनती है।।