आज मोचीराम ने जूतों पर पोलिश नहीं की, चेहरे पर पोलिश लगाए घूम रहे हैं, हंस रहे हैं.... हे हे हे हो हो हो ..... जूतों को क्या चमकाना! जब चेहरों की चमक गायब है, फटे जूतों को सिलकर क्या होगा: उतने में नए खरीद लो चाइना माल है न; एक का दस, एक का दस ....... हम! अरे हम तो कामगार हैं, मशीनों के आगे बेकार हैं, हुनर गया तेल लेने ....... जाओ दस में पांच जोड़ी लाओ, पूरे घर को पहनाओ , हमारे बच्चों का एक फाका और सही! तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था में... अर्थ उनका है, व्यवस्था हमारी, माल उनका, बाज़ार हमारा... वे अपना कचड़ा यंहा जमा कर रहे हैं, हम उस कचड़े पर ऐश कर रहे हैं.... हमारे आदमी ले जाओ, पैसा दे जाओ, आदमी का क्या मोल? यंहा हर आदमी टका सेर बिकता है, वाचाल राजा आँखों पर पट्टी बाँध सोता है, हुनरमंद हाँथ ट्रेनों में लटका है, मीडिया की चकाचौंध में असली मुद्दा सटका है, गांधी का रामराज चरखे का चक्कर लगाता है, खीझता है ,थकता है, बेहाल हो बैठ जाता है, सत्य और अहिंसा किताबों में बंद है, गांधी अब संग्रहालय की शान है, महापुरुष...