हिंदी कविता - दुनिया का सच
मेरी कविता 'दुनिया का सच' सुनें मेरी आवाज़ में जो की सामाजिक बाज़ार में स्त्री की व्यथा से आपको रूबरू करवाती है।
आपकी प्रतिक्रियाएं मेरे लिए अमूल्य हैं
कृपया अपनी प्रतिक्रियाएं अवश्य दें ताकि इस नयी राह पर आपके सुझावों का हाँथ पकड़ कर आगे बढ़ सकूं।
Very sweet voice 👌👌👌
जवाब देंहटाएंThanks Neetu ji
हटाएंवाह!!बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुभा दी
हटाएंसादर
वाहः बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसादर आभार लोकेश जी
हटाएंप्रिय अपर्णा -- आपके मधुर स्वर में आपकी सुंदर रचना सुकर मन आह्लादित है |नारी जीवन की मर्मान्तक सच्चाई से रूबरू कराती रचना आपकी प्रखर लेखनी की पहचान है | ढेरों शुभकामनाये और मेरा हार्दिक स्नेह |
जवाब देंहटाएंआदरणीय रेनू दी,आपकी नेह भरी प्रायिक्रिया मन को आह्लादित कर देती है। आपका प्यार और आशीष इस यात्रा में मेरे संबल हैं।
हटाएंसादर
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जवाब देंहटाएंउम्मीदों के नगर में बिकती रही बार बार
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जुड़ती रही शून्य बन
.
बहुत ही मार्मिक आदरणीया 👌👌👌👏👏👏... बहुत अच्छा लिखा आपने
और कविता का वाचन वाकई तारीफ़ों के काबिल है
ढेरों शुभकामनाएँ💐💐💐
अमित। जी, आप की प्रतिक्रिया दिल में उत्साह का रस घोल गयी। बहुत बहुत आभार आपका।
हटाएंसादर
बहुत शानदार ढंग से पेश किया आपने ये कटु सत्य ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई यात्रा जारी रखिये बहुत अच्छी शैली है आपकी।
हटाएंआदरणीय कुसुम दी, इस यात्रा में आपके आशीष और प्रोत्साहन की महती आवश्यकता है। आप के स्नेह के लिए हृदयतल से आभार
सादर
आदरणीय रवीन्द्र जी,मेरे इस अदने से प्रयास को हलचल जैसे मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार।
जवाब देंहटाएंसादर
मेहनत करने वालों की उम्मीदें मरा नही करती अपर्णा जी.
जवाब देंहटाएंसुंदर मीठी आवाज की मलिका हैं आप.
स्वागत हैं आपका खैर