संदेश

दूर हूँ....कि पास हूँ

झूठे बाज़ार में औरत

एक कवि से उम्मीद!

डरती हूँ मैं!

विदा का नृत्य

समय की उड़ान

पूर्ण विराम कंहा है!

अंत हुआ तो ख़ाली दामन

धार्मिक तन्हाई का दंश

तेरी सुरमयी याद में गुलाबी हम

कल वाले लेमनचूस!

शून्य हैं हम

प्रणय रंग की बतियाँ