आहिस्ता -आहिस्ता
समय हो तो अपनी हथेली पर भी रख लेना एक फूल, घूम आना स्मृति के मेले में, कहानी की किताब में झांक कर, कर लेना बातें ' पंडित विष्णु शर्मा ' से, या घर ले आना ' नौकर की कमीज़ ' सुन लेना रजनीगंधा की फूल या ठुमक लेना ' झुमका गिरा ' की धुन पर कह लेना खुद से भी "Relax ! चंद कदम ही तो हैं, चल लेंगे आहिस्ता-आहिस्ता हम भी, तुम भी।।
नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरूवार 19-10-2017 को प्रातः 4 :00 बजे प्रकाशनार्थ 825 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका आदरणीय.
जवाब देंहटाएंसादरl`}
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली!
शुक्रिया कविता जी.
हटाएंआपको भी दीपावली की शुभकामनायें.
सुंदर रचना । आपको एवं आपके पूरे परिवार को दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
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