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यह चंदू की चकोरी - सी चाची का चमत्कार है जो चांदनी से चरणामृत चुराकर चटनी में चंद बूंदे चुआ देती हैं और फिर चांद से चमचमाते चाचा उसे च्यवनप्राश- से चाट लेते हैं और चंगे होकर चाची के चारू- चंचल चक्षु की चमक में चहक उठते हैं।🌹🌹😄🙏
ग्रहों और नक्षत्रों की चाल बदलती है, बदल जाता है अच्छा वक्त बुरे में, बुरा अच्छे में, समय की सुई को कौन रोक पाया है, जैसे रोका नहीं जा सकता वक्त, रोकी नहीं जा सकती मन की गति सवेरा शाम में बदला नहीं जा सकता वापस नहीं लिए जा सकते शब्द, ठहरो न! देखो मन का दर्पण तुम कितना बदले हो ।।
🙏 *सप्रेम आमंत्रण* 🙏 *सात दिवसीय पतंजलि योग विज्ञान शिविर का समापन सह संस्थापक दिवस समारोह* दिनांक : 3 मार्च 2025, सोमवार समय : संध्या 4:00 बजे से 8:00 बजे तक कार्यक्रम : हवन, भजन संध्या, संस्थापक को नमन एवं श्रद्धांजलि, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुरस्कार वितरण एवं भोजन प्रसाद स्थान : "दिव्य योगशाला" बिरसानगर, जोन नंबर 2 , पलसानिया कॉम्प्लेक्स के सामने, जमशेदपुर आप सभी सादर आमंत्रित हैं..... संपर्क सूत्र : नरेन्द्र कुमार जिला प्रभारी पतंजलि सोशल मीडिया पूर्वी सिंहभूम, झारखंड 8825181894 7070360987
यह चंदू की चकोरी - सी चाची का चमत्कार है जो चांदनी से चरणामृत चुराकर चटनी में चंद बूंदे चुआ देती हैं और फिर चांद से चमचमाते चाचा उसे च्यवनप्राश- से चाट लेते हैं और चंगे होकर चाची के चारू- चंचल चक्षु की चमक में चहक उठते हैं।🌹🌹😄🙏
जवाब देंहटाएंआपकी यह टिप्पणी पढ़कर चंदू की चाची सदियों तक चटनी पीसने के लिए तैयार रहेंगी और चाचा की चहक यूं ही गुंजायमान होती रहेगी।😃😃🙏 सादर
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